झारखंड की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक सदस्यों में से एक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की पार्टी में वापसी की चर्चा ने राजनीतिक गलियारों को गरम कर दिया है। माना जा रहा है कि चंपई सोरेन, जो फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) में हैं, अपनी वापसी का रास्ता तलाश रहे हैं।
BJP में चंपई सोरेन का असंतोष
सूत्रों के मुताबिक, चंपई सोरेन BJP में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर आशंकित हैं। 2024 के झारखंड विधानसभा चुनावों में BJP को भारी झटका लगा, जब 28 में से केवल एक सीट उनके खाते में आई, वह भी चंपई सोरेन की। आदिवासी समुदाय में बढ़ती नाराजगी और पार्टी के भीतर सीमित प्रभाव ने चंपई को निराश किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चंपई सोरेन ने महसूस किया है कि BJP में बने रहने से उनका राजनीतिक करियर खत्म हो सकता है। इसके अलावा, चुनाव प्रचार के दौरान चंपई सोरेन ने JMM और हेमंत सोरेन और उनके परिवार के खिलाफ सीधे हमले करने से परहेज किया, चुनाव के बाद भगवन बिरसा मुण्डा के परपोते स्व० मंगल मुंडा के रोड एक्सीडेंट के बाद RIMS अस्पताल की लापरवाही पर बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने JMM पर निशाना साधा। हालांकि, इस पूरे मामले पर चंपई सोरेन ने चुप्पी साधे रखी। जिससे उनके JMM से संबंधों को लेकर अटकलें तेज हो गईं।
चम्पई सोरेन की वापसी की चर्चा क्यों?
पिछले 5 सालों से भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) सरकार को कमजोर करने की लगातार कोशिशें कीं।
- सबसे पहले, सरकार गिराने की कोशिशें की गईं।
- नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद पैदा करने की साजिशें रची गईं।
- पैसे का लालच देकर JMM के नेताओं को तोड़ने का प्रयास किया गया।
- ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) की फर्जी छापेमारी की कार्रवाइयां की गईं।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल भेजा गया।
ये सभी चालें सिर्फ इसलिए चली गईं ताकि “अबुआ सरकार” अपने 5 साल पूरे न कर सके। लेकिन इन तमाम साजिशों के बावजूद हेमंत सोरेन ने अपनी सरकार के 5 साल पूरे किए और खुद को एक मजबूत नेता के रूप में साबित किया।
चर्चा इसीलिए हो रही है क्योंकि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में समैन मरांडी और हेमेंलाल मुरमू ने भाजपा (BJP) जॉइन की थी, लेकिन 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने दोनों नेताओं को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया। हाल ही में, बेहारगोड़ विधानसभा सीट के विधायक कुणाल संडिल को भी JMM में वापस लाया गया। इसके अलावा, 24 साल तक भाजपा में योगदान देने वाले लुइस मरांडी ने भाजपा से नाराज होकर 2024 के विधानसभा चुनाव में JMM का दामन थामा।
यह साफ है कि अब चंपई सोरेन को JMM की जरूरत है, लेकिन JMM को चंपई सोरेन की जरूरत नहीं है। हालांकि, भाजपा को एक झटका देने के लिए JMM चंपई सोरेन को वापस लाने की कोशिश कर रही है। ऐसा हो सकता है कि चंपई सोरेन के पीछे और भी नेता JMM में वापसी करें, जिससे भाजपा को राजनीतिक नुकसान हो।
अब, JMM ने स्पष्ट कर दिया है कि वह भाजपा में गए अपने पुराने नेताओं को वापस लाने के लिए तैयार है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि “JMM का दरवाजा चंपई सोरेन के लिए हमेशा खुला है।” यह रणनीति पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तरीके से प्रेरित दिखती है, जिन्होंने 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा में गए TMC नेताओं को वापस बुलाया था।
चंपई सोरेन के सामने विकल्प
सूत्र बताते हैं कि चंपई सोरेन को JMM में वापसी के बदले दो बड़े ऑफर दिए जा सकते हैं:
- दिल्ली की राजनीति में एंट्री: हेमंत सोरेन सरकार में चम्पई सोरेन को मंत्री बनाया जा सकता है।
- विधायक पद : चम्पई सोरेन की विधायक सीट उनके बेटे को दिया जा सकता है।
BJP को लगेगा झटका?
चंपई सोरेन की संभावित वापसी BJP के लिए बड़ा झटका हो सकती है। अगर चंपई JMM में लौटते हैं, तो यह BJP के अंदर अन्य असंतुष्ट नेताओं के लिए भी संकेत होगा। ऐसे में JMM न केवल अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि आदिवासी समुदाय का समर्थन भी और मजबूत कर सकता है।