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झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच आलू विवाद

28 नवंबर को हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। झारखंड में जेएमएम के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार बनी है। इस शपथ ग्रहण समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं। लेकिन कुछ दिनों बाद झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच आलू विवाद सामने आ गया, जिससे गठबंधन में दरार की अटकलें तेज हो गई हैं।

झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच आलू विवाद की शुरुआत

पश्चिम बंगाल सरकार ने झारखंड, असम और उड़ीसा को आलू के निर्यात पर रोक लगा दी। इसके चलते झारखंड में आलू की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई। आलू की कीमत प्रति क्विंटल काफी बढ़ गई, जिससे आम जनता परेशान है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर तत्काल संज्ञान लिया और मुख्य सचिव को मामला सुलझाने के निर्देश दिए।

राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया

झारखंड के मुख्य सचिव के हस्तक्षेप के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने मामले को सुलझाने के लिए एक समिति बनाने का आश्वासन दिया। बंगाल सरकार की इस रोक के चलते झारखंड में आलू की कमी का संकट खड़ा हो गया है। दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल के आलू व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि यदि निर्यात पर प्रतिबंध नहीं हटाया गया तो वे हड़ताल कर देंगे।

विपक्ष और व्यापारियों की भूमिका

झारखंड में विपक्षी दल बीजेपी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले में ममता बनर्जी से सीधे बातचीत करने की मांग की है। झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आलू की बढ़ती कीमतों के चलते आम जनता परेशान हो रही है। वहीं, पश्चिम बंगाल में विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस प्रतिबंध को अवैध करार देते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुलिस द्वारा की जा रही नाकाबंदी पूरी तरह अवैध है। उन्होंने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की और केंद्रीय बलों की तैनाती की संभावना भी जताई।

वैकल्पिक समाधान

इस विवाद के बीच उड़ीसा सरकार ने उत्तर प्रदेश से आलू खरीदना शुरू कर दिया है। उड़ीसा के खाद्य आपूर्ति मंत्री केसी पात्रा ने दावा किया कि इस कदम से आलू की कीमतों को स्थिर कर लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आलू की कालाबाजारी का मामला सामने आया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या गठबंधन पर असर पड़ेगा?

झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच इस विवाद ने इंडिया गठबंधन में मतभेद की संभावनाओं को जन्म दिया है। हालांकि, दोनों राज्यों के बीच प्रशासनिक स्तर पर बातचीत जारी है। देखना होगा कि यह विवाद गठबंधन की एकता पर कितना असर डालता है।

निष्कर्ष

आलू विवाद ने ना सिर्फ झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच तनाव बढ़ा दिया है, बल्कि आम जनता को भी मुश्किलों में डाल दिया है। प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालना होगा ताकि स्थिति सामान्य हो सके।

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