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सिरमटोली फ्लाईओवर बनाम सरना स्थल विवाद | Current Affairs March 2025

झारखण्ड के रांची शहर में, फ्लाई ओवर का काम बहुत ही तेजी से चल रहा है कुछ कुछ स्थानों पर कार्य पूरा हो गया है और कुछ स्थानों में कार्यरत ऐसे में सिरमटोली फ्लाईओवर जो कटाटोली से सिरमटोली चौक तक जा रही है जिस कारण आदिवासिओं (झारखण्ड के मूलवासियो) और सरकार के बिच एक टकराव पैसा हो गया है तो चलिए इस लेख के माध्यम से इस मामले को सामने की कोशिस करते है।

सिरमटोली चौक जहाँ केंद्रीय सरना स्थल होने के करण अपने आप में एक इतिहासक और महत्वपूर्ण स्थान व चौराहा है यह स्थान झारखण्ड के मुलवाशी (आदिवासियों) समुदाय के लिए एतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता है।   

तत्कालीन समय में, रांची झारखण्ड का जनसंख्या अधिक होने के करण व यह मुख्या मार्ग होने के करण यह मार्ग बहुत ही व्यस्त रहता है जिससे ट्रैफिक नियंत्रण में बहुत ही गंभीर समस्यों का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण सरकार द्वारा एक नया फ्लाईओवर बनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है शहर के ट्रैफिक को नियंत्रित करना और आवागमन को सुगम बनाना। लेकिन इस निर्माण के बीच एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है — फ्लाईओवर के नीचे स्थित सरना स्थल को लेकर।

यह विवाद केवल एक निर्माण परियोजना से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह झारखंड की आदिवासी आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक अस्मिता से सीधे-सीधे टकरा रहा है।

सरना स्थल: आस्था की जड़ें

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सरना स्थल झारखंड के आदिवासी समाज के लिए बेहद पवित्र स्थान होता है। यहां पर प्रकृति की पूजा की जाती है — जिसमे पेड़ों, मिट्टी, जल और वायु को देवता मानकर सामूहिक पूजा होती है। जिसमे इनका मुख्य त्यौहार -सरहुल, करम, और अन्य परंपरागत त्योहारों में यह स्थल विशेष पूजा का केंद्र होता है। इसी करण यह सरना स्थान आदिवासियों के लिए यह स्थान केवल पूजा की जगह नहीं, यह आदिवासी जीवन दर्शन का हिस्सा है।

सिरमटोली फ्लाईओवर विवाद की जड़

सरकार द्वारा बनाए जा रहे फ्लाईओवर का मार्ग ठीक उसी क्षेत्र से गुजर रहा है जहां यह सरना स्थल स्थित है। स्थानीय आदिवासी संगठनों और धर्मगुरुओं को आशंका है कि इस स्थल को या तो हटाया जाएगा, या इसका महत्व कम कर दिया जाएगा।

सिरमटोली फ्लाईओवर विरोध की घटनाएं

  • 22 मार्च 2025: इस दिन आदिवासियो के द्वारा पुर्रे झारखण्ड राज्य को बंद किया गया था।
  • 01 अप्रैल 2025: सरहुल के दिन रांची में स्तिथ अल्बर्ट एक्का चौक में जुलुस के दौरान हेमंत सरकार के विरोध में नाराबाजी भी किया गया था ।
  • 5 अप्रैल 2025: आदिवासी संगठनों द्वारा सिरमटोली में धरना और प्रदर्शन।
  • सरना समिति ने इसे धार्मिक आस्था पर हमला बताया।
  • युवाओं ने सोशल मीडिया पर #SaveSarnaSthal मुहिम शुरू की।

सिरमटोली फ्लाईओवर फ्लाईओवर विवाद में सरकार की प्रतिक्रिया

स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए बातचीत से समाधान निकाला जाएगा।
झारखंड सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि विकास और विरासत दोनों को संतुलित करने का प्रयास किया जाएगा।

कानूनी और संवैधानिक पहलू (Trible Rights)

भारत का संविधान हर नागरिक को अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा करने का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 25-28 के तहत धार्मिक स्थलों को संरक्षण दिया गया है।
ऐसे में किसी पवित्र स्थल को हटाना या प्रभावित करना संवैधानिक रूप से भी सवालों के घेरे में आता है।

सामाजिक सोच: विकास या विरासत?

“क्या केवल भौतिक विकास ही विकास है, या सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य भी उतने ही ज़रूरी हैं?”

सरना स्थल केवल पत्थर या पेड़ों का ढांचा नहीं, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है।

समाधान की संभावनाएं

  1. संवेदनशील डिज़ाइन: फ्लाईओवर के निर्माण में स्थल को यथावत रखा जाए।
  2. स्थल को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।
  3. स्थानीय समुदाय से नियमित संवाद किया जाए ताकि गलतफहमियां न बढ़ें।
  4. स्थायी सूचना पट्ट या धार्मिक प्रतीक वहां स्थापित कर सम्मान दिया जाए।

निष्कर्ष

झारखंड जैसे राज्य में जहां विकास की गति तेज हो रही है, वहीं यह जरूरी है कि परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं को भी उतनी ही प्राथमिकता दी जाए।
सरना स्थल के बहाने यह मौका है कि सरकार और समाज संवाद के माध्यम से सह-अस्तित्व की मिसाल पेश करें।

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