आज के डिजिटल युग में, जहां स्मार्टफोन, सोशल मीडिया, वेबसाइट और ऐप्स ने हमारे दैनिक जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाया है, वहीं दूसरी ओर कई जोखिम भी सामने आए हैं। उन जोखिमों में से एक है हमारा व्यक्तिगत डेटा, पर्सनल चैट, और निजी बातें। आज हम किसी न किसी कारण से विभिन्न प्रकार के ऐप्स, वेबसाइट्स और सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। लेकिन हम इसमें अपने निजी डेटा की सुरक्षा चाहते हैं। परंतु बहुत दुःख के साथ कहना पड़ता है कि आज के दौर में हमारा निजी डेटा, जैसे मैसेज, चैट, वॉइस कॉल, और फोटो — कुछ भी सुरक्षित नहीं है। विभिन्न प्रकार के ऐप्स, जैसे Facebook, Instagram, Google, WhatsApp आदि, हमारे डेटा को ट्रैक कर रहे हैं या यूं कहें कि चोरी कर उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे प्राइवेसी खतरे में हैं।
ऐप्स और वेबसाइट्स द्वारा हमारी गतिविधियों की ट्रैकिंग न केवल हमारी प्राइवेसी को खतरे में डालती है, बल्कि यह हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन पर भी असर डाल सकती है।
ट्रैकिंग का प्रभाव प्राइवेसी खतरे में ?
आज के दौर में, स्मार्टफोन और इंटरनेट सेवाओं के माध्यम से हमारी बातचीत और गतिविधियां लगातार निगरानी में हैं। इसे एक सच्ची घटना के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं:
रोशन नाम का एक लड़का था जिसे होस्टिंगर से होस्टिंग और डोमेन खरीदना था। उस समय होस्टिंगर में एक ऑफर चल रहा था। रोशन ने अपने दोस्त अमित को फोन कर इस ऑफर के बारे में बताया। होस्टिंगर का प्लान सुनकर अमित ने भी इसे खरीदने का मन बना लिया। बातचीत खत्म होने के बाद रोशन ने कॉल काट दी और अपने काम में लग गया।
कुछ देर बाद, जब रोशन ने अपने स्मार्टफोन में फेसबुक खोला, तो उसे होस्टिंगर का वही विज्ञापन दिखा, जिसके बारे में वह और अमित बात कर रहे थे। आश्चर्य की बात यह है कि अमित को भी वही विज्ञापन फेसबुक और इंस्टाग्राम दोनों जगह दिखने लगा।
इतना ही नहीं, अगर आप Google, Flipkart या Amazon पर कोई सामान खोजते हैं, तो आपको Facebook, Instagram और अन्य वेबसाइट्स पर उसी प्रोडक्ट का विज्ञापन दिखने लगता है।
ये सारी घटनाएं इस बात को प्रमाणित करती हैं कि कैसे हमारी निजी बातचीत को ट्रैक कर डेटा का उपयोग किया जा रहा है। यह केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि हम सभी के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
डेटा का व्यवसाय में उपयोग
कंपनियां हमारे निजी डेटा का उपयोग करके अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए लक्षित विज्ञापन और मार्केटिंग करती हैं।
ट्रैकिंग तकनीक
ट्रैकिंग तकनीक का उपयोग हमारी बातचीत और हमारी मोबाइल में की गई गतिविधियों को समझने के लिए किया जाता है, ताकि उपयोगकर्ता को उनकी रुचियों और जरूरतों के अनुसार सेवाएं और उत्पाद प्रदान किए जा सकें।
स्पष्ट रूप से कहा जाए तो, जब हम गूगल पर किसी प्रोडक्ट के बारे में सर्च करते हैं, तो वह प्रोडक्ट हमें विभिन्न वेबसाइटों और ब्लॉग्स पर दिखाई देने लगता है। इसके अलावा, हमें उसी प्रोडक्ट या उससे संबंधित प्रोडक्ट का विज्ञापन शॉपिंग साइट्स पर भी दिखने लगता है।
प्राइवेसी की सुरक्षा के उपाय
इस गंभीर समस्या का समाधान करने के लिए हमें सख्त कदम उठाने होंगे। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- ऐप्स में मांगी गई अनुमतियों को जांचें:
जब आप कोई ऐप इंस्टॉल करते हैं, उस समय ऐप द्वारा कुछ अनुमतियां मांगी जाती हैं, जैसे – स्टोरेज एक्सेस, माइक एक्सेस, गैलरी एक्सेस, लोकेशन एक्सेस आदि। इन सभी अनुमतियों को देने से बचें। - एन्क्रिप्टेड ऐप का उपयोग करें:
हमें ऐसे ऐप्स का उपयोग करना चाहिए जो इन अनुमतियों के बिना चल सकें और जहां बातचीत केवल संबंधित व्यक्तियों तक सीमित रहे। - ब्राउज़र की सुरक्षित सेटिंग करें:
आप जिस ब्राउज़र का उपयोग करते हैं, उसका सुरक्षा विकल्प जांचें और अनावश्यक अनुमतियों को अक्षम करें, ताकि ब्राउज़र आपकी गतिविधियों को ट्रैक न कर सके। - VPN का इस्तेमाल करें:
कोशिश करें कि आप अपने मोबाइल पर VPN का उपयोग करें, ताकि आपके मोबाइल को ट्रैक न किया जा सके। - सोशल मीडिया ऐप्स और वेबसाइट्स से सतर्क रहें:
सोशल मीडिया का उपयोग करते समय अपनी निजी सुरक्षा का ध्यान रखें और व्यक्तिगत फाइल या डेटा साझा करने से बचें। - एंटी-ट्रैकिंग सॉफ़्टवेयर और एड्स ब्लॉक सॉफ़्टवेयर:
अपने मोबाइल में ऐसे ऐप्स को इंस्टॉल करें, जो ट्रैकिंग को ब्लॉक कर सकें और साथ ही आने वाले विज्ञापनों को भी रोक सकें।
लोगों को जागरूकता की आवश्यकता
यह समस्या केवल तकनीकी समाधानों से हल नहीं हो सकती। इसके लिए हमारे समाज में निजी सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाना आवश्यक है।
इसके लिए लोगों को शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से यह समझाना होगा कि उनका डेटा कितना कीमती है और इसे सुरक्षित रखना क्यों जरूरी है। साथ ही, सरकार को कंपनियों के लिए मजबूत डेटा सुरक्षा कानून लागू करने होंगे, ताकि कंपनियां हमारे डेटा का गलत उपयोग न कर सकें।